गजवदन याचेऽहं गौरीतनय |
त्रिजगवन्दित देव सुजनानां पालक || ० ||
पाशाङ्कुशधर परमपवित्र |
मूषकवाहन मुनिजनप्रेम || १ ||
मुदया ते पदौ दर्शय मे त्वं
साधुवन्दित हे आदरतया भजे || २ ||
सरसिजनाभश्रीपुरन्दरविट्ठलं |
सास्मर्यमाणं कुरु मम चित्तम् || ३ ||
Sung by Smt. Vasumathi Nagarajan - on YouTube
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